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चाय-चक्रम्
एकहि साधे सब सधे, सब साधे सब जाय।
दूध, दही, फल, अन्न, जल छोड़ पीजिए चाय॥
छोड़ पीजिए चाय, अमृत बीसवीं सदी का।
जग-प्रसिद्ध जैसे गंगाजल गंग...
चाय की दुकान और बूढ़ा
नुक्कड़ वाली चाय की दुकान में, सुबह,
मुँह अँधेरे ही आ जाती है
जब एक बीमार बूढ़ा
वहाँ चला आता है
अपने पाँव घसीटता।
एक ठण्डी रात में से गुज़रकर
ज़िन्दा...
ऐ दोस्त
एक शाम हुआ करती थी
जो ढल गई
तेरे जाने के बाद ऐ दोस्त!
चाय की चुस्कियों में अब
मज़ा नहीं रहा।
बादल गरजते रहे, बरसते भी रहे
चौकोर टेबल,
और वो...