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Adarsh Bhushan

रुदन की व्यंजनाएँ

मैं कभी नहीं रोया मुझे किसी ने रोते हुए देखा भी नहीं रुदन साहस माँगता है मैं अपनी आँखों को हमेशा कातर असहजता के ढाई इंच नीचे की स्मिति से ढाँपता रहा जब...
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