Tag: Widow Marriage
अवगुंठन
क्या अपने से छोटी उम्र के पुरुष से प्रेम करने वाली स्त्री, एक दिन विवाहित और दूसरे दिन विधवा होने वाली स्त्री, सती की चिता से उठकर आने वाली स्त्री, भाग्य की निर्दयता का चिह्न चेहरे पर लिए घूमने वाली स्त्री में भी स्वाभिमान हो सकता है? समाज का एक अंश शायद यह न सोच पाए लेकिन टैगोर की इस कहानी में इस स्वाभिमान की एक झलक दिखाई देती है! यह भी कहना उचित होगा कि यह केवल स्वाभिमान भी नहीं था, अपने भाग्य पर रोष भी था! पढ़िए! :)