‘Virasat’, a poem by Ankush Kumar
प्रेम मुझे विरासत में मिला,
मेरे पिता करते थे
माँ से बहुत प्रेम,
मेरे बच्चे देखते हैं मुझे
प्रेम में डूबे हुए
उनकी माँ के संग।
मेरे बच्चे
जब करेंगे टूटकर प्रेम अपने संगी से
तब मैं गर्व कर सकूँगा
कि मैं अपनी विरासत
अपने वंश तक पहुँचा पाया।