यह बहुत अच्‍छी सरकार है
इसके एक हाथ में सितार, दूसरे में हथियार है
सितार बजाने और हथियार चलाने की
तजुर्बेकार है

इसका निशाना अचूक है
क़ानून की एड़ियों वाले जूते पहनकर
सड़क पर निशाना साधे खड़ी है
उसी सड़क से होकर मुझे
एक हत्‍या की गवाही के लिए जाना है

मुझसे पहले
दरवाज़ा खोलकर मेरा इरादा
बाहर निकला
तुरन्‍त गोली से मरकर गिरा

मैंने दरवाज़े से झॉंककर कहा—
मुझे नहीं पता यह किस का इरादा रहा
इस तरह
मैं एक अच्‍छा नागरिक बना
फिर मैंने झूम-झूमकर सितार सुना।

नवीन सागर की कविता 'हम बचेंगे अगर'

Book by Naveen Sagar:

नवीन सागर
हिन्दी कवि व लेखक! कविता संग्रह- 'नींद से लम्बी रात', 'जब ख़ुद नहीं था'!