Dhan Gopal Mukerji Quotes in Hindi
अनुवाद: शिवा
“तुमने कभी मौन को सुना है? किसी ध्वनि का न होना निःशब्दता नहीं होती। मौन उजाड़ नहीं होता, वह तो तत्त्वों से भरा होता है। वह आकाश की तरह है, अमूर्त फिर भी तारों, सूर्य, चंद्रमा और समस्त अस्तित्व को धारण किए हुए। वही मौन है और वह भाषाओं से परिपूर्ण है।”
“कितने खेद की बात है कि अधिकतर युवा एक जानवर को उसके प्राकृतिक वास में देखने के बजाय – जो कि सौ जानवरों को किसी चिड़ियाघर में देखने के बराबर है – ईश्वर के बनाए जीवों के बारे में उन्हें पिंजरे में देखकर जानेंगे। हम यह कैसे मान लेते हैं कि हम किसी जानवर के बारे में उसे पिंजरे में बंधे हुए निहारकर सब कुछ जान लेंगे?”
“वयस्कों और जानवरों द्वारा अपने बच्चों को डरना सिखाया जाता है। एक बार हम डरना सीख जाते हैं, तो शायद ही कभी उस आदत से निजात पा सकते हैं, और मुझे लगता है कि हमारा डर ही जानवरों को भयभीत करता है और वो हम पर हमला कर देते हैं।”
“हम जो कुछ सोचते हैं, महसूस करते हैं, वह हमारे कार्यों और वचनों का रूप निश्चित करता है। वह जो डरता है, चाहे अनजाने में ही सही, या जिसके मन की कोई छोटी सी भी तरंग घृणा से दूषित है, वह निश्चित ही, आज नहीं तो कल, इन दो स्वभावों को क्रियाओं में बदल देगा। इसलिए, मेरे बंधुओं, साहस को जियो, साहस की श्वास भरो, और साहस ही बाँटों। प्रेम को सोचो, महसूस करो, ताकि तुम ख़ुद में से शांति और सुकून का प्रसार उतने ही स्वाभाविक रूप से कर सको, जैसे एक पुष्प सुगंध का प्रसार करता है। सब तरफ़ शान्ति हो!”
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