‘The Wanderer: Garments’ : : Kahlil Gibran
अंग्रेज़ी से अनुवाद: गौरव अदीब
एक रोज़ समन्दर के किनारे ख़ूबसूरती की मुलाक़ात बदसूरती से हुई। उन्होंने एक दूसरे से कहा- “आओ समन्दर में नहाते हैं।”
वे बेलिबास हुईं और पानी में उतर गयीं। कुछ देर बाद, बदसूरती वापिस किनारे पर आयी और ख़ूबसूरती का लिबास पहनकर चली गयी।
फिर ख़ूबसूरती भी समन्दर से बाहर आयी और पाया कि उसका लिबास ग़ायब है, नँगे बदन वो शर्मसार हुई जाती थी, इसलिए उसने बदसूरती का लिबास पहना और चली गयी।
और ठीक उसी दिन से इंसान इन्हें पहचानने में भूल करने लगा।
अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने ख़ूबसूरती का चेहरा ध्यान से देखा है और उसे उसके लिबास के बावजूद भी पहचानते हैं। और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बदसूरती का चेहरा पहचानते हैं और उसका लिबास उसे लोगों की आँखों से छिपा नहीं पाता।