हम न बोलेंगे, कमल के पात बोलेंगे।

कीच का क्या रंग, क्या है उत्स कादो का
जेठ की है धूप कैसी मेघ भादो का
ये रहस्य वैसे समय के गात खोलेंगे
हम न बोलेंगे, कमल के पात बोलेंगे

किन वनों, मरू प्रांतरों से हवा क्या लायी
देह जूही नाग तन का मन उड़ा लायी
यह भरम दिक्पंख पर जलजात तौलेंगे
हम न बोलेंगे, कमल के पात बोलेंगे

तुहिन का क्या अर्थ, क्या सन्दर्भ भावी का
इड़ा का क्या गीत है, क्या काव्य रावी का
यह मिथक इतिहास के सहजात ढो लेंगे
हम न बोलेंगे, कमल के पात बोलेंगे।

रामनरेश पाठक
रामनरेश पाठक (1929-1999) हिन्दी के कवि व नवगीतकार हैं. उनके प्रमुख कविता संग्रह 'अपूर्वा', 'शहर छोड़ते हुए' और 'मैं अथर्व हूँ' हैं।