मैं, सोफा, शराब और वो,
राते यूँ ही काटा करते थे,
घूंट-घूंट में हर लम्हे को,
हम यूँ ही गुजारा करते थे।
मैं, सोफा, शराब और वो,
और दुनिया से एक दूरी, बस,
बातें, नज्में, फिल्में, किस्से,
और इश्क़ की सुरुरी, बस।
मैं, सोफा, शराब और वो।
मैं, सोफा, शराब और वो,
राते यूँ ही काटा करते थे,
घूंट-घूंट में हर लम्हे को,
हम यूँ ही गुजारा करते थे।
मैं, सोफा, शराब और वो,
और दुनिया से एक दूरी, बस,
बातें, नज्में, फिल्में, किस्से,
और इश्क़ की सुरुरी, बस।
मैं, सोफा, शराब और वो।