अगर जानना चाहते हो
पीड़ा क्या है,
तो मेरे वक्षस्थल
पर अपना सर रख देना,
कुछ देर के लिए निस्तेज
हो जाना,
जैसे मर जाते हैं लोग
प्रेम की पीड़ा में
प्यासे…

तुम्हें मेरे हृदय से पुकारता
पूरा ब्रह्माण्ड मिलेगा
जो मेरे साथ मेरे
प्राणों को गले से
लगाए हुए है,
तुम अगर एक पल
के लिए भी जागे तो
उठा ले जाएगा जंगल
जहाँ हर पत्ती, हर टहनी
में इक शोर है
और उस शोर में
एक बेसुरा-सा प्रेम
सुर साध रहा है

अगर जानना चाहते हो
प्रेम क्या है,
तो ज़रा सा सर उठाकर
मेरी आँखों में देख लेना
कल ही ज़मीन पोंछकर
आँसुओं से तुम्हारा नाम
लिखा था
जो सूख गया और
अब वहाँ हरसिंगार का एक
फूल पड़ा है…

Recommended Book:

सृजन सृयश
मैंने ईश्वर से तुम्हारे साथ ज़िन्दगी नहीं अपने कब्र में तुम्हारे नाम की मिट्टी मांगी है सृजन