निशान

वहाँ से तुम्हारे जाने के बाद,
एक घटना दो तरीक़े से घटी।

प्रेमियों ने कहा,
तुम्हारे द्वारा छोड़े गए निशान तुम्हारे पाँवों के हैं
गिरमिटियों ने कहा,
तुम्हारे जूतों के निशान हैं

मेरे हाथ में किताब थी
अब तक भ्रम में हूँ—
इन दोनों में सच क्या है?

डर

वे मेरे घर में
चाक़ू, रॉड, डण्डे
हाथ में पत्थर और बन्दूक़ लेकर घुसे
और बोले—
डरो मत,
हम तुम्हें बचाने आए हैं।

अशोक सिंह 'अश्क'
अशोक सिंह 'अश्क' काशी हिंदू विश्व विद्यालय वाराणसी मोबाइल न० 8840686397, 9565763779 ईमेल -ashoksinghcktd@gmail. com