Poems: Rahul Boyal

सभ्यता और संस्कार

तुम उधर क्या देख रही हो?
मैं स्वयं से ही पूछ बैठती हूँ
कभी-कभार
इधर बाज़ार की संस्कृति
उधर उपभोग की सभ्यता
संस्कारी बनूँ कि सभ्य?
ओ मित्र समय
तुम्ही करो तय।

इधर मिला जो आदमी
वो सोचता है- लाभ कमाऊँ
उधर मिला जो आदमी
वो विचारता है – ठगा न जाऊँ
मैं दोनों के लिए ही अलभ्य
ओ मित्र समय
तुम्ही करो तय।

तपस्विनी

मुझे एक कविता लिखनी है,
पिछले कई सालों से तपस्विनी-सी हूँ
खोज रही हूँ अहसासों का ईश्वर,
पर हर बार उलझ जाती हूँ शब्दों के जाल में।
कभी तेरे नैनों में घर दिखता है,
कभी दिख जाता है समाज शीशे में।

कभी ख़ुशी लिख देती हूँ, कभी संतोष,
ख़ुदकुशी भी लिखती हूँ, कभी जीवन उद्घोष
कैसे लिखूँ कोई बात कि
कविता ही हो, कविता-सी न हो
क्या तुम्हारा पौरुष मुझे इजाज़त देगा?

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Books by Rahul Boyal:

 

 

राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]