प्रेम में चढ़ना नहीं होता पहाड़
न ही होता है किसी खाई में कूदना
यह कोई प्रतियोगिता नहीं है
जिसमें अव्वल आने की ज़िद हो

प्रेम में सबसे बेहतर का चुनाव नहीं करना होता
न ही कोई समीकरण याद करना होता
न ही लेना होता है किसी गणितीय प्रमेय का सहारा
प्रेम कोई विज्ञान का विषय भी नहीं
जिसमें रसायनों का सही-सही मिलाना हो ज़रूरी

प्रेम में होता है
बस प्रेम करना
थाम लेना हथेलियाँ एक-दूसरे की
टिका देना हौले से एक-दूसरे के कंधे पर सिर
चुपचाप ताक लेना एक दूसरे को
मुस्कराकर चल पड़ना किसी अनजान सड़क पर

प्रेम में भौगोलिक दूरियाँ नहीं रखती कोई जगह
मीलों दूर किसी की याद में अनायास ही
रुंध सकता है गला
हो सकता है मन बेचैन
उठ सकता है शान्त जल में हिलोर
डूब सकता है मन का किनारा
फूट सकती है कोई सख़्त चट्टान
धरती भेद अँकुरित हो सकता है कोई पौध
भर सकता है गर्मियों में सूखा तालाब

प्रेम में बिन पतझड़ झड़ सकते हैं पत्ते
बिन बसन्त खिल सकता हैं अमलतास
प्रेम में कोई हो सकता, मन के बेहद पास

एक ओस की बूँद गिरते ही भीग सकता है मन
प्रेम में बहुत कोशिशों की ज़रूरत नहीं होती।

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गौरव गुप्ता
हिन्दी युवा कवि. सम्पर्क- gaurow.du@gmail.com