‘Raaste’, a poem by Prita Arvind

चौड़े रास्ते, सँकरे रास्ते
सपाट रास्ते, पथरीले रास्ते
सुगम रास्ते, कठिन रास्ते
रास्ते कोई भी कैसे भी हों
सभी रास्ते होते हैं
चलने के लिए,
एक जगह से चलकर
दूसरी जगह तक पहुँचने के लिए,
वर्तमान की अंधेरी तंग गलियों से निकल
एक चमकीले स्वर्णिम भविष्य को
हासिल करने के लिए

कभी कोई रास्ता आम होता है
तो कभी ख़ास,
किसी आम रास्ते को
ख़ास बना देना
रास्ते का चरित्र हनन
करने जैसा होता है

आम तौर पर ख़ास रास्ते
आराम से चलने के लिए होते हैं
लेकिन कुछ दूर तक ही ले जाते हैं
जबकि आम रास्ते अपेक्षाकृत
कठिन घुमावदार और दुरूह होते हैं
और दूर तक जाते हैं

रास्तों की तासीर भी अजीब है
कुछ रास्तों को खोलने के लिए
कुछ दूसरे रास्तों को कभी-कभी
बन्द भी करना होता है
इन रास्तों को बन्द देख
शहंशाहों की रात की
नींद हराम हो जाती है
और आम लोगों की बात
अनसुनी कर देने वाले
उनके कान खुल जाते हैं

फिर जो लोग पहनावे से
दूसरे लोगों की पहचान करते हैं और
उनका रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं
उन्हें बाद में दिग्भ्रम हो जाता है
और वे अपना ही रास्ता भूलकर
ख़ुद भँवर में फँस जाते हैं

असल में रास्तों को
जाति धर्म रंग के हिसाब से
खोलना या बन्द कर देना
कुदरती इंसाफ़ के ख़िलाफ़ है

आम ही अच्छे होते हैं रास्ते।

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