एक सौंदर्य प्रतियोगिता में पूछा गया एक प्रश्न—
आपके लिए सफलता का मतलब क्या है?

और जैसा कि होता है
नक़ली मुस्कराहट ओढ़े
उस सुन्दरी ने दिया एक नक़ली-सा जवाब
और तमाम इसी तरह के सवाल-जवाबों के बीच
चुन ली गई एक विजेता

उस प्रश्न के हो सकते थे उत्तर और भी कई
अधिक ईमानदार और ज़मीनी
अगर आप प्रसन्न हैं, तो आप सफल हैं
(जवाब जो जॉन लेनन ने स्कूल में दिया था)

आप जो भी काम करते हों
मयस्सर हो आपको दो जून की रोटी, छत और बिस्तर
इतने में भी आप ख़ुश रह सकते हैं

यदि आप फूलों से करते हैं उत्कट प्रेम
बीज से अंकुर फूटना यदि आपके लिए सृष्टि का सुन्दरतम दृश्य है
तो आप बाग़बान या किसान होकर हो सकते हैं सफल

जवाब जैसा कि एक पत्रकार को
मुज़फ़्फ़रपुर की तीसरी कक्षा की छात्रा
फ़लक परवीन ने दिया था
कि वह बड़ी होकर ‘अच्छी’ बनना चाहती है
जॉन लेनन से कमतर नहीं था फ़लक का जवाब

पर ऐसे जवाब सौंदर्य प्रतियोगिताओं में नहीं दिए जाते
नहीं चाहतीं प्रायोजक कम्पनियाँ
निष्कलुष बने रहने की ललक,
एक बाग़बान की ख़ुशहाली का ज़िक्र,
ना ही उनका सच्चा मंतव्य होता है
स्त्री मन की थाह पाना

बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ चाहती हैं
ग़रीबी में जिए जाते ग़रीब,
मरते हुए किसान,
ताकि ग़रीबी और विफलता का डर
रख सके बाज़ार को जीवित

जब बनावटी प्रश्नोत्तरों और नकली आभा से
परखी जा रही होती है सुन्दरता
तब सबसे सुन्दर स्त्रियाँ
कर रही होती है जद्दोजहद
डिंब तोड़ने की

सबसे सुन्दर स्त्रियाँ
मिलेंगी हर गाँव-देस में
खेत-खलिहानों में, पाठशाला में, खेल के मैदानों में
मॉल में सेल्स गर्ल, ऑफ़िस में एग्ज़ीक्यूटिव
टेनिस ग्रैंड स्लैम और देश-विदेश की फ़िल्मों में
पुरुषों के बराबर मेहनताना पाने को लड़ती स्त्रियाँ
गृहिणी होने की उपादेयता सिद्ध करने को संघर्षरत
तमाम सुन्दर स्त्रियाँ

मेरी अपनी देखी सबसे सुन्दर स्त्री
ब्रेल लिपि में पढ़ रही वह बच्ची थी
जिसे विज्ञान समझाते हुए
आवाज़ सामान्य रखने की कोशिश करता
मैं रो रहा था,
इससे अनभिज्ञ वह
सुन-सीख रही थी
सबसे सुन्दर मुस्कान ओढ़े

सौन्दर्य के मंच पर
कोकून से बाहर आने की प्रक्रिया सुनिए
इंद्रधनुषी परों वाली उड़ती तितलियों की,
और एकतरफ़ा क्यों हो कोई सम्वाद
पूछने दीजिए
इन तमाम सुन्दर स्त्रियों को
उनके हिस्से के सवाल!

देवेश पथ सारिया
हिन्दी कवि-लेखक एवं अनुवादक। पुरस्कार : भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (2023) प्रकाशित पुस्तकें— कविता संग्रह : नूह की नाव । कथेतर गद्य : छोटी आँखों की पुतलियों में (ताइवान डायरी)। अनुवाद : हक़ीक़त के बीच दरार; यातना शिविर में साथिनें।