पहले पहल तुम्हें जब मैंने देखा
सोचा था
इससे पहले ही
सबसे पहले
क्यों न तुम्हीं को देखा!
अब तक
दृष्टि खोजती क्या थी,
कौन रूप, क्या रंग
देखने को उड़ती थी
ज्योति-पंख पर
तुम्हीं बताओ
मेरे सुन्दर
अहे चराचर सुन्दरता की सीमा रेखा!
पहले पहल तुम्हें जब मैंने देखा!
त्रिलोचन की कविता 'स्नेह मेरे पास है'