Tag: Bhagwati Charan Verma
प्रायश्चित
'Prayashchit', a story by Bhagwati Charan Verma
अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी, तो रामू की बहू से और अगर रामू...
मेरी भूलों से मत उलझो
'Meri Bhoolon Se Mat Uljho', a poem by Bhagwati Charan Verma
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मेरी भूलों से मत उलझो,
जनम-जनम का मैं अज्ञानी।
काँटों से निज राह सजाकर
मैंने उस पर...
इंस्टॉलमेंट
"जिस दिन से कार ली है, उस दिन से उन दोनों की शक्ल ही नहीं दिखलाई दी। आज दो महीने से दिन-रात कार पर चक्कर लगा रहा हूँ। शहर की हर एक सड़क छान डाली और उनके मकान के तो न जाने कितने चक्कर लगा डाले, सिर्फ इसलिए कि वे मुझे कार पर कहीं देख लें लेकिन न जाने कहाँ गायब हो गईं कि उनका पता ही नहीं लगता। जिस दिन उन्होंने यह कार देखी, उसके दो-चार दिन बाद ही मैं यह कार बेच दूँगा।"
"मैंने तय कर लिया कि मैं इन दोनों को दिखला दूँगा कि मेरे पास कार है और इस प्रकार मैं अपने आत्म-सम्मान पर लगे हुए धब्बे को धो दूँगा। उसी दिन शाम को मैंने यह कार ले ली। पास में रुपया न था, इसलिए, 'इंस्टॉलमेंट सिस्टम' पर यह कार लेनी पड़ी।"
भगवतीचरण वर्मा – ‘चित्रलेखा’
भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास 'चित्रलेखा' से उद्धरण | Quotes from 'Chitralekha', a book by Bhagwaticharan Verma
"हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते...