Tag: Chandradhar Sharma Guleri

School Kids

पाठशाला

पढ़ाई की वजह से बचपन न मुरझा जाए, यह कितना ज़रूरी है, चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने आज से लगभग सौ साल पहले बताया था! :)
Woman, Eyes, Couple

सुखमय जीवन

"उसको देखते ही मेरे हृदय में प्रेम की अग्नि जल उठी थी और दिन-भर वहाँ रहने से वह धधकने लग गई थी। दो ही पहर में मैं बालक से युवा हो गया था। अंगरेजी महाकाव्यों में, प्रेममय उपन्यासों में और कोर्स के संस्कृत-नाटकों में जहाँ-जहाँ प्रेमिका-प्रेमिक का वार्तालाप पढ़ा था, वहाँ-वहाँ का दृश्य स्मरण करके वहाँ-वहाँ के वाक्यों को घोख रहा था, पर यह निश्‍चय नहीं कर सका कि इतने थोड़े परिचय पर भी बात कैसी करनी चाहिए। अंत में अंगरेजी पढ़नेवाले की धृष्‍टता ने आर्यकुमार की शालीनता पर विजय पाई और चपलता कहिए, बेसमझी कहिए, ढीठपन कहिए, पागलपन कहिए, मैंने दौड़ कर कमला का हाथ पकड़ लिया।"
Usne Kaha Tha

हीरे का हीरा

आपने चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' तो शायद पढ़ी ही होगी और उसके पात्र लहनासिंह से भी परिचित होंगे। कहा जाता है कि गुलेरी की यह कहानी 'हीरे का हीरा', 'उसने कहा था' का अगला भाग है, जिसमें लहनासिंह की जंग के बाद घर वापसी दिखाई गयी है.. दुर्भाग्यवश गुलेरी इस कहानी को पूरा नहीं कर पाए थे, और डॉ. सुशील कुमार फुल्ल ने उनकी इस कहानी को परिणति तक पहुँचाया! क्या आपको लगता है कि अगर गुलेरी यह कहानी पूरी लिखते तो यह इससे कुछ भिन्न होती?
Ghantaghar, Clock Tower

घंटाघर

"जो उचक्का मुझे तमंचा दिखा दे, मेरी थैली उसी की, जो दुष्ट मेरी आँख में सूई डाल दे, वह उसे फोड़ सकता है, किंतु मेरी आत्मा मेरी और जगदीश्‍वर की है, उसे तू, हे बेतुके घंटाघर, नहीं छल सकता। अपनी भलाई चाहे तो हमारा धन्यवाद ले, और.. और.. और.. चला जा!!"
Usne Kaha Tha

उसने कहा था

'तेरी कुड़माई हो गई?' का जवाब मिला 'धत!' और युद्ध के मैदान में भी प्रेम वचनों को याद रखा गया। ज़बान पीने को पानी माँगती रही तो मन बार-बार दोहराता रहा 'उसने कहा था'।
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