Tag: Dusshera
तुम जलते रहोगे.. हम जलाते रहेंगे!
'Tum Jalte Rahoge, Hum Jalate Rahenge', a poem by Manjula Bist
एक गणमान्य-तीर तुम्हारी नाभि पर लगा, रावण!
फिर तुम दस शीशों के साथ धू-धू जल...
राम की खोज
'Ram Ki Khoj', a poem by Adarsh Bhushan
मुझे नहीं चाहिए वो राम
जो तुमने मुझे दिया है,
त्रेता के रावण का
कलियुग में
संज्ञा से विशेषण होना
और
एक नयी...