Tag: Fate
अपेक्षाएँ
कई अपेक्षाएँ थीं और कई बातें होनी थीं
एक रात के गर्भ में सुबह को होना था
एक औरत के पेट से दुनिया बदलने का भविष्य...
ओ समय के देवता, इतना बता दो
ओ समय के देवता! इतना बता दो—
यह तुम्हारा व्यंग्य कितने दिन चलेगा?
जब किया, जैसा किया, परिणाम पाया
हो गए बदनाम ऐसा नाम पाया,
मुस्कुराहट के नगर...
वह मेरी नियति थी
कई बार मैं उससे ऊबा
और
नहीं—जानता—हूँ—किस ओर
चला गया।
कई बार मैंने संकल्प किया।
कई बार
मैंने अपने को
विश्वास दिलाने की कोशिश की—
हम में से हरेक
सम्पूर्ण है।
कई बार मैंने...
कविताएँ: नवम्बर 2020
विडम्बना
कितनी रोशनी है
फिर भी कितना अँधेरा है
कितनी नदियाँ हैं
फिर भी कितनी प्यास है
कितनी अदालतें हैं
फिर भी कितना अन्याय है
कितने ईश्वर हैं
फिर भी कितना अधर्म...
अपना अपना भाग्य
"इसे खाने के लिए कुछ देना चाहता था", अंग्रेजी में मित्र ने कहा- "मगर, दस-दस के नोट हैं।"
मैंने कहा- "दस का नोट ही दे दो।"
सकपकाकर मित्र मेरा मुँह देखने लगे- "अरे यार! बजट बिगड़ जाएगा। हृदय में जितनी दया है, पास में उतने पैसे तो नहीं हैं।"