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चौथी लड़की
'Chauthi Ladki', a poem by Mridula Singh
इंतजार का दिन पूर गया
हर कोई देख रहा है
एक-दूसरे की आँख में
तैरता कुल का सवाल
लड़का या लड़की?
तीन पहले से...
मैं बच गई माँ
'Main Bach Gayi Maa'
a nazm by Zehra Nigah
मैं बच गई माँ
मैं बच गई माँ
तेरे कच्चे लहू की मेहँदी
मेरे पोर पोर में रच गई माँ
मैं...
अशरफुल मख़्लूक़ात
नाले के आगे सुनसान रस्ते से गुज़रते हुए कल रात मुझे कुछ अजीब सा दिखाई दिया। हालाँकि सर्दी बहुत थी फिर भी मैंने रुक...