Tag: Hermann Hesse poem in Hindi

Hermann Hesse

कितने बोझिल हैं दिन

'How Heavy The Days', a poem by Hermann Hesse अनुवाद: पुनीत कुसुम  (जेम्स राइट के अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित) कितने बोझिल हैं दिन! कोई आग नहीं जो मुझे उष्णता...
Hermann Hesse

मैदानों में

अनुवाद: पुनीत कुसुम आकाश में, बादल चलते हैं खेतों में, हवा मैदानों में, मेरी माँ का खोया हुआ बच्चा भटकता है सड़क के पार, पत्ते उड़ते हैं पेड़ों के पार,...
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