Tag: Intimacy

Mahendra Kumar Waqif

महेंद्र कुमार वाक़िफ़ की कविताएँ

मेरी निजता की परिधि में तुम अमावस का चाँद छुपता है गहरे सागर में नींद अंगड़ाइयों में छुप जाती है प्रेम लड़ता है तमाम प्रतिबन्धों से और हारकर छुप...
Ashok Vajpeyi

‘कहीं नहीं वहीं’ से कविताएँ

'कहीं नहीं वहीं' से कविताएँ सिर्फ़ नहीं नहीं, सिर्फ़ आत्मा ही नहीं झुलसेगी प्रेम में देह भी झुलस जाएगी उसकी आँच से नहीं, सिर्फ़ देह ही नहीं जलेगी अन्त्येष्टि में आत्मा भी...
Fahmida Riaz

ज़बानों का बोसा

ज़बानों के रस में ये कैसी महक है ये बोसा कि जिससे मोहब्बत की सहबा की उड़ती है ख़ुश्बू ये बद-मस्त ख़ुश्बू जो गहरा ग़ुनूदा नशा...
Devendra Ahirwar

प्रेम गाथा

हथेलियाँ मिलीं, हथेलियाँ मिलने लगीं, शहर हथेलियों में घूमने लगा। फिर एक दिन उंगलियाँ मिलीं, और उंगलियाँ भी मिलने लगीं, अब शहर का वो हिस्सा उंगलियों ने घूमा जो हथेलियों...
Woman, Bed, Night, Lights

तुम्हारी हथेली का चाँद

इस घुप्प घने अँधेरे में जब मेरी देह से एक-एक सितारा निकलकर लुप्त हो रहा होता है आसमान में तुम्हारी हथेली का चाँद, चुपके-से चुनता है, वो एक-एक सितारा...
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