Tag: Intimacy
महेंद्र कुमार वाक़िफ़ की कविताएँ
मेरी निजता की परिधि में तुम
अमावस का चाँद छुपता है
गहरे सागर में
नींद अंगड़ाइयों में छुप जाती है
प्रेम लड़ता है तमाम प्रतिबन्धों से
और हारकर छुप...
‘कहीं नहीं वहीं’ से कविताएँ
'कहीं नहीं वहीं' से कविताएँ
सिर्फ़ नहीं
नहीं, सिर्फ़ आत्मा ही नहीं झुलसेगी
प्रेम में
देह भी झुलस जाएगी
उसकी आँच से
नहीं, सिर्फ़ देह ही नहीं जलेगी
अन्त्येष्टि में
आत्मा भी...
ज़बानों का बोसा
ज़बानों के रस में ये कैसी महक है
ये बोसा कि जिससे मोहब्बत की सहबा की उड़ती है ख़ुश्बू
ये बद-मस्त ख़ुश्बू जो गहरा ग़ुनूदा नशा...
प्रेम गाथा
हथेलियाँ मिलीं,
हथेलियाँ मिलने लगीं,
शहर हथेलियों में घूमने लगा।
फिर एक दिन उंगलियाँ मिलीं,
और उंगलियाँ भी मिलने लगीं,
अब शहर का वो हिस्सा उंगलियों ने घूमा
जो हथेलियों...
तुम्हारी हथेली का चाँद
इस घुप्प घने अँधेरे में
जब मेरी देह से एक-एक सितारा निकलकर
लुप्त हो रहा होता है आसमान में
तुम्हारी हथेली का चाँद,
चुपके-से चुनता है,
वो एक-एक सितारा...