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‘अब्बास : व्यक्तित्व और कला’ — ख़्वाजा अहमद अब्बास से कृश्न चन्दर की बातचीत
ख़्वाजा अहमद अब्बास से कृश्न चन्दर की बातचीत
'मुझे कुछ कहना है' से साभार
कृश्न—अपनी जन्म-तिथि याद है? मेरा मतलब साहित्यिक जन्म-तिथि से है।
अब्बास—यों तो मैं...
दो फ़र्लांग लम्बी सड़क
Do Farlaang Lambi Sadak, a story by Krishan Chander
कचहरियों से लेकर लॉ कॉलेज तक बस यही कोई दो फ़र्लांग लम्बी सड़क होगी। हर रोज़...
पुँछ की क्लियोपैट्रा
कृश्न चन्दर की कहानी 'पुँछ की क्लियोपैट्रा' | 'Punchh Ki Cleopatra', a story by Krishan Chander
जैसे किसी छोटे-से कमरे में कोई हीरा पड़ा हो...
जामुन का पेड़
"सुपरिन्टेंडेंट अंडर सेक्रेटरी के पास गया। अंडर सेक्रेटरी डिप्टी सेक्रेटरी के पास गया। डिप्टी सेक्रेटरी जाइंट सेक्रेटरी के पास गया। जाइंट सेक्रेटरी चीफ सेक्रेटरी के पास गया।
चीफ सेक्रेटरी ने जाइंट सेक्रेटरी से कुछ कहा। जाइंट सेक्रेटरी ने डिप्टी सेक्रेटरी से कहा। डिप्टी सेक्रेटरी ने अंडर सेक्रेटरी से कहा।
फाइल चलती रही। इसी में आधा दिन गुजर गया।"
आधे घण्टे का ख़ुदा
चमकती हुई गहरी स्याह आँखों वाली मोगरी। अंगारों की तरह दहकते हुए होंठों वाली, उन्नीस बरस की मोगरी वो जब हँसती थी तो ऐसा लगता था गोया सिया की डालियों से फूल झड़ रहे हैं।
काशिर के लिए ये ज़रूरी हो गया था कि वो मोगरी की जान ले ले...
मामता
ये कोई दो बजे का वक़्त था, बादलों का एक हल्का सा गिलाफ़ चांद को छुपाए हुए थे। यकायक मेरी आँख खुल गई। क्या...
एक तवाइफ़ का ख़त
एक तवाइफ़ का खुला ख़त नेहरू और जिन्ना के नाम.. और नाम हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के सभी शरीफ, इज्जतदार और धार्मिक लोगों के!