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कुछ हाइकु
Hindi Haikus by Laxmi Shankar Bajpai
"आठों पहर
दौड़े बदहवास
महानगर।"
"जनतंत्र में
बचा तंत्र ही तंत्र
खो गए जन।"
"सबसे ख़ुश
वो जो नहीं जानता
ख़ुशियाँ क्या हैं।"
"परिचित हूँ
जीवन के अंत से
किंतु...