Tag: Meenakshi Misra
पीड़ा, नायिका
पीड़ा
ढल चुका है दिन
ढल गया
पुष्पों का यौवन...
अछोर आकाश में अब
चाँद ढल रहा धीरे-धीरे
डूब रहे हैं नक्षत्र
देखो!
रात ढल गई
आधी-आधी...
आयु ढल गई
ढल गए वे दिन
सहर्ष जिए थे जो...
भाषा बनाम कवि
कितनी अशक्त है वह भाषा
जो नहीं कर पाती
पक्षियों के कलरव का अनुवाद
जिसके व्याकरण में सज़ायाफ़्ता हैं मछलियाँ
मेहराबों पर तैर नहीं सकतीं
जिसके सीमान्त में रहते...
भय
बेरौनक़ रहता है अब वो चेहरा अक्सर
ईश्वर की अक़ीदत में हो जाते थे सुर्ख़ जिसके गाल कभी
एक अजीब भय में तब्दील होने लगती हैं उसकी...
मीनाक्षी मिश्र की कविताएँ
अपना पसंदीदा संगीत सुनते हुए
अपना पसंदीदा संगीत सुनते हुए मैंने जाना
जब कोई धुन पहुँचती है गंतव्य तक सही-सलामत
तब पैर थिरकने से पहले
थिरकती है आत्मा
जीवन...