Tag: Memory

Leeladhar Jagudi

तुम अब स्‍मृति हो

पूरे जंगल भर के पखेरू थे तुम्‍हारे अकेले प्राण जो इतने पंख गिरा गए चारों ओर तुम्‍हारी ही तुम्‍हारी फड़फड़ाहट है नदी के दोनों ओर जैसे मेला...
Subhadra Kumari Chauhan

हे काले-काले बादल

यह कैसा दुःख कि आँखें बादलों से होड़ लगाने पर तुली हैं!! "हे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना। मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़ लगाना॥"
Jaishankar Prasad

मेरी आँखों की पुतली में

मेरी आँखों की पुतली में तू बनकर प्रान समा जा रे! जिससे कण-कण में स्पंदन हों मन में मलायानिल चंदन हों करुणा का नव अभिनन्दन हों वह जीवन गीत...
Indra Bahadur Khare - Bhor Ke Geet

सो गए हैं गान!

"छंद में कर बंद प्रिय को बहुत रोका, दे न पाया पर स्वयं को हाय धोखा..."
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