Tag: Memory
तुम अब स्मृति हो
पूरे जंगल भर के पखेरू थे तुम्हारे अकेले प्राण
जो इतने पंख गिरा गए
चारों ओर तुम्हारी ही तुम्हारी फड़फड़ाहट है
नदी के दोनों ओर जैसे मेला...
हे काले-काले बादल
यह कैसा दुःख कि आँखें बादलों से होड़ लगाने पर तुली हैं!!
"हे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना।
मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़ लगाना॥"
मेरी आँखों की पुतली में
मेरी आँखों की पुतली में
तू बनकर प्रान समा जा रे!
जिससे कण-कण में स्पंदन हों
मन में मलायानिल चंदन हों
करुणा का नव अभिनन्दन हों
वह जीवन गीत...
सो गए हैं गान!
"छंद में कर बंद
प्रिय को बहुत रोका,
दे न पाया पर स्वयं
को हाय धोखा..."