Tag: Pratibha Rajendra
चुल्हपोतनी होतीं तुम
लड़कियाँ जो पढ़ना चाहती थीं
कहा गया ज़रूरत ही क्या?
जिसने हाथ जोड़े, अम्मा से, बाबा से, भाई से
उनसे कहा गया... हैसियत नहीं हमारी
लड़के धरनी धरन...
प्रेम में डूबी औरतें
तुम्हारी हर बात को सच मानती रहीं
तुमने कहा, प्रेम में हो!
वह हँस पड़ी।
तुमने कहा, प्रेम एक भ्रम है!
वह सशंकित हुई।
तुमने कहा,
मैं प्रेमी हूँ
तुम पात्र
मैं...
स्त्री ने झील होना चुना
उन्हें मोहब्बत में जान देने वाली प्रेमिकाएँ पसन्द आयीं
औरतें जो चिता पर जल मरीं
उनके मन्दिर बने
प्रेमिकाएँ जो प्रेमियों के साथ भाग जाना चाहती थीं
उन्हें...