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Gopaldas Neeraj

लिटरेचर का एंज्वायमेंट होंठों पर है

जो समाज के होंठों पर रहेगा, वही भविष्य में जीवित रहेगा। काग़ज़ पर छपकर, घरों और लाइब्रेरी में बन्द होकर नहीं।
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