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Rahul Tomar

कविताएँ: दिसम्बर 2021

आपत्तियाँ ट्रेन के जनरल डिब्बे में चार के लिए तय जगह पर छह बैठ जाते थे तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती थी स्लीपर में रात के समय...
Rahul Tomar

राहुल तोमर की कविताएँ

प्रतीक्षा उसकी पसीजी हथेली स्थिर है उसकी उँगलियाँ किसी बेआवाज़ धुन पर थिरक रही हैं उसका निचला होंठ दाँतों के बीच नींद का स्वाँग भर जागने को विकल लेटा हुआ...
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