Tag: Rajesh Joshi

Rajesh Joshi

अन्धेरे के बारे में कुछ वाक्य

अन्धेरे में सबसे बड़ी दिक़्क़त यह थी कि वह किताब पढ़ना नामुमकिन बना देता था। पता नहीं शरारतन ऐसा करता था या किताब से डरता था उसके मन...
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मुग्ध कविता

कुछ कवि होते हैं जो मुग्ध होते हैं। उनकी निगाह हमेशा जीवन के कुछ उजले पक्षों और उजली चीज़ों की ओर ही उठती है।...
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पृथ्वी का चक्कर

यह पृथ्वी सुबह के उजाले पर टिकी है और रात के अंधेरे पर यह चिड़ियों के चहचहाने की नोक पर टिकी है और तारों की झिलमिल लोरी पर तितलियाँ...
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रुको बच्‍चो

रुको बच्‍चो, रुको! सड़क पार करने से पहले रुको तेज रफ़्तार से जाती इन गाड़ियों को गुज़र जाने दो वो जो सर्र से जाती सफ़ेद कार में...
Rajesh Joshi

भूलने की भाषा

पानी की भाषा में एक नदी मेरे बहुत पास से गुज़री। उड़ने की भाषा में बहुत-से परिन्दे अचानक फड़फड़ाकर उड़े, आकाश में बादलों से थोड़ा नीचे। एक चित्र लिपि...
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हमारी भाषा

यह कविता यहाँ सुनें: https://youtu.be/ejZxw4tNpIk भाषा में पुकारे जाने से पहले वह एक चिड़िया थी बस और चिड़िया भी उसे हमारी भाषा ने ही कहा भाषा ही ने दिया उस...
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माँ कहती है

हम हर रात पैर धोकर सोते हैं करवट होकर। छाती पर हाथ बाँधकर चित्त हम कभी नहीं सोते। सोने से पहले माँ टुइयाँ के तकिये के नीचे सरौता रख देती है बिना नागा। माँ कहती...
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हर जगह आकाश

बोले और सुने जा रहे के बीच जो दूरी है वह एक आकाश है मैं खूँटी से उतारकर एक कमीज़ पहनता हूँ और एक आकाश के भीतर...
Rajesh Joshi

मारे जाएँगे

'Maare Jaenge', a poem by Rajesh Joshi जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, मारे जाएँगे कठघरे में खड़े कर दिये जाएँगे जो विरोध में बोलेंगे जो सच-सच...
Rajesh Joshi

तितलियाँ

'Titliyaan', a poem by Rajesh Joshi हरी घास पर खरगोश खरगोश की आँख में नींद नींद में स्वप्न चाँद का चाँद में क्या? चाँद में चरखा चरखे में पोनी पोनी में कतती चाँदनी चाँदनी...
Rajesh Joshi

बच्‍चे काम पर जा रहे हैं

कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं सुबह-सुबह 'बच्चे काम पर जा रहे हैं' हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह भयानक है...
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