Tag: Ravan

Manjula Bist

तुम जलते रहोगे.. हम जलाते रहेंगे!

'Tum Jalte Rahoge, Hum Jalate Rahenge', a poem by Manjula Bist एक गणमान्य-तीर तुम्हारी नाभि पर लगा, रावण! फिर तुम दस शीशों के साथ धू-धू जल...
Adarsh Bhushan

राम की खोज

'Ram Ki Khoj', a poem by Adarsh Bhushan मुझे नहीं चाहिए वो राम जो तुमने मुझे दिया है, त्रेता के रावण का कलियुग में संज्ञा से विशेषण होना और एक नयी...
Woman Abstract

प्रश्न

एक नहीं सैकड़ों सीताएँ मेरे नगर में घूमती हैं। अपनी लंका छोड़ कर बहुत से रावण यहाँ पर आ गये हैं। मुझे इतना बता दो इस युग का राम किधर है?
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