Tag: Reclaiming Spaces

Pooja Shah

पूजा शाह की कविताएँ

पाज़ेब पाज़ेब पाँवों में नहीं स्तनों पर पहनने से सार्थक होंगी जब औरतें क़दम रखती हैं पकौड़ियों की थाली लिए आदमियों से भरे कमरे में उनकी गपशप के बीच या जब...
Smiling Indian Girl

हठी लड़कियाँ

वो कौन था आया था अकेले या पूरे टोले के साथ नोच लिए थे जिनके हाथों ने स्वप्नों में उग रहे फूल रात हो गई तब और गाढ़ी अपने...
Kuber Dutt

स्त्री के लिए जगह

कोई तो होगी जगह स्त्री के लिए जहाँ न हो वह माँ, बहिन, पत्नी और प्रेयसी न हो जहाँ संकीर्तन उसकी देह और उसके सौन्दर्य के पक्ष में जहाँ न वह नपे फ़ीतों...
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