Tag: Socialism

Loudspeaker

मुझे नहीं पता

जब मुर्ग़ा बाँग देता है तब सवेरा होता है या जब सबेरा होता है तब मुर्ग़ा बाँग देता है इसकी फ़िलॉसफ़ी क्या है? मुझे नहीं पता! पर पिछले कुछ दशकों में मुर्ग़ानुमा...
Harshita Panchariya

बचाकर रखे हैं कुछ रंग, चींटियों के पंख, पंखों की मज़बूती

बचाकर रखे हैं कुछ रंग बचाकर रखा है होठों का गुलाबी रंग उन वैधव्यता वाले गालों के लिए जिनके पति लिपटे हुए लौटते हैं तिरंगे में बचाकर रखा है बालों...
Ali Sardar Jafri

निवाला

'Niwala', a nazm by Ali Sardar Jafri माँ है रेशम के कारख़ाने में बाप मसरूफ़ सूती मिल में है कोख से माँ की जब से निकला है बच्चा...
Gaurav Bharti

गौरव भारती की कविताएँ – IV

Poetry by Gaurav Bharti क़ैद रूहें उनका क्या जो नहीं लौटते हैं घर कभी-कभार देह तो लौट भी जाती है मगर रूहें खटती रहती हैं मीलों में खदानों में बड़े-बड़े निर्माणाधीन मकानों में इस उम्मीद...
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