Tag: Venu Gopal
काले भेड़िए के ख़िलाफ़
देखो
कि जंगल आज भी उतना ही ख़ूबसूरत है। अपने
आशावान हरेपन के साथ
बरसात में झूमता हुआ। उस
काले भेड़िए के बावजूद
जो
शिकार की टोह में
झाड़ियों से निकलकर...
कहो तो
कहो तो
'इन्द्रधनुष'
ख़ून-पसीने को बिना पोंछे
दायीं ओर भूख से मरते लोगों का
मटमैले आसमान-सा विराट चेहरा
बायीं ओर लड़ाई की ललछौंही लपेट में
दमकते दस-बीस साथी
उभरकर आएगा ठीक तभी
सन्नाटे...
मेरा वर्तमान
मैं फूल नहीं हो सका। बग़ीचों से
घिरे रहने के बावजूद। उनकी
हक़ीक़त जान लेने के बाद
यह
मुमकिन भी नहीं था। यों
अनगिन फूल हैं वहाँ। लेकिन
मुस्कुराता हुआ...
सृष्टि का पहला क्षण
मैंने दीवार को छुआ—वह दीवार ही रही। मौक़ा
देखकर हिफ़ाज़त करती या रुकावट बनती।
मैंने पेड़ को छुआ—वह पेड़ ही रहा। एक दिन
ठूँठ बन जाने की...
कौन बचता है
जहाँ
इस वक़्त
कवि है
कविता है,
वहाँ
जंगल है और अँधेरा है और हैं
धोखेबाज़ दिशाएँ।
दुश्मन सेनाओं से बचने की कोशिश में
भटकते-भटकते
वे यहाँ आ फँसे हैं, जहाँ से
इस वक़्त
न...
वे हाथ होते हैं
दुश्मनों की ख़ुशी पर मुझे कुछ नहीं
कहना है। दोस्तों की
उदासी ही
मुझसे यह कविता लिखवा रही है।
जिन अँधेरे रास्तों पर सफ़र
शुरू हुआ था,
वे एकाएक राज-पथ...
प्यार का वक़्त
वह
या तो बीच का वक़्त होता है
या पहले का। जब भी
लड़ाई के दौरान
साँस लेने का मौक़ा मिल जाए।
उस वक़्त
जब
मैं
तुम्हारी बन्द पलकें बेतहाशा चूम रहा...