एक टुकड़ा धूप का
आया मुझे जगाने
मुझसे कहा
उठो श्रीमान
सुबह कितनी प्यारी है
धूप कितनी न्यारी है
मैंने कहा जाओ कहीं और
ये दिन सुबह व शाम
मेरे लिए नहीं
बस मुझे रात की तन्हाई दे दो
एक चाँद सी बिंदी दे दो
बाकी सारा उपवन ले लो…

शाहिद सुमन
चलो रफू करते हैं