‘Abhi Nikatata Bahut Door Hai’, Hindi Kavita by Balbir Singh Rang
अभी निकटता बहुत दूर है,
अभी सफलता बहुत दूर है,
निर्ममता से नहीं, मुझे तो ममता से भय है।
अभी तो केवल परिचय है।
माना जीवन स्नेह चाहता,
स्नेह नहीं सन्देह चाहता,
किसी और पर नहीं, मुझे अपने पर संशय है।
अभी तो केवल परिचय है।
कवि के गीत रिझाते जग को,
कवि के गीत रुलाते जग को,
इसमें कवि का क्या है, यह तो कविता की जय है।
अभी तो केवल परिचय है।
यह भी पढ़ें: बलबीर सिंह ‘रंग’ की हिन्दी ग़ज़ल ‘आइये मरुभूमि में उद्यान की चर्चा करें’