जगहें ख़त्म हो जाती हैं
जब हमारी वहाँ जाने की इच्छाएँ
ख़त्म हो जाती हैं
लेकिन जिनकी इच्छाएँ ख़त्म हो जाती हैं
वे ऐसी जगहों में बदल जाते हैं
जहाँ कोई आना नहीं चाहता
कहते हैं रास्ता भी एक जगह होता है
जिस पर ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं लोग
और रास्ते पॉंवों से ही निकलते हैं
पॉंव शायद इसीलिए पूजे जाते हैं
हाथों को पूजने की कोई परम्परा नहीं
हमारी संस्कृति में
ये कितनी अजीब बात है।
नरेश सक्सेना की कविता 'आधा चाँद माँगता है पूरी रात'