पूरब देस में डुग्गी बाजी, फैला सुख का हाल
दुख की आगनी कौन बुझाए, सूख गए सब ताल
जिन हाथों में मोती रोले, आज वही कंगाल
आज वही कंगाल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
पीठ से अपने पेट लगाए लाखों उल्टे खाट
भीख-मँगाई से थक-थककर उतरे मौत के घाट
जियन-मरन के डंडे मिलाए बैठे हैं चंडाल रे साथी
बैठे हैं चंडाल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
नद्दी नाले गली डगर पर लाशों के अम्बार
जान की ऐसी महँगी शय का उलट गया व्यापार
मुट्ठी-भर चावल से बढ़कर सस्ता है ये माल रे साथी
सस्ता है ये माल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
कोठरियों में गाँजे बैठे बनिए सारा अनाज
सुंदर-नारी भूख की मारी बेचे घर-घर लाज
चौपट-नगरी कौन सम्भाले चार तरफ़ भूचाल
चार तरफ़ भूचाल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
पुरखों ने घर-बार लुटाया छोड़ के सबका साथ
माएँ रोयीं बिलख-बिलखकर, बच्चे भए अनाथ
सदा सुहागन बिधवा बाजे खोले सर के बाल रे साथी
खोले सर के बाल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
अत्ती-पत्ती चबा-चबाकर जूझ रहा है देस
मौत ने कितने घूँघट मारे बदले सौ-सौ भेस
काल बकुट फैलाए रहा है बीमारी का जाल रे साथी
बीमारी का जाल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
धरती-माता की छाती में चोट लगी है कारी
माया-काली के फंदे में वक़्त पड़ा है भारी
अब से उठ जा नींद के माते देख तू जग का हाल रे साथी
देख तू जग का हाल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
प्यारी-माता चिंता मत कर हम हैं आने वाले
कुंदन-रस खेतों में तेरी गोद बसाने वाले
ख़ून पसीना हल हँसिया से दूर करेंगे काल रे साथी
दूर करेंगे काल
भूखा है बंगाल रे साथी, भूखा है बंगाल!
बंगाल के सूखे पर रांगेय राघव का रिपोर्ताज 'अदम्य जीवन'