‘बीस्ट्स ऑफ़ नो नेशन’ के एक दृश्य से प्रेरित

युद्ध में लड़ता
क़त्ल-ए-आम मचाता कोई किशोर
यदि अपनी जान बचाने को
आत्मसमर्पण कर दे
तो पूछे जाने पर कहेगा
कि तुम्हें लगता है मैं एक जानवर हूँ? एक राक्षस?
पर यह सच उतना सच नहीं
जितना सच यह कि
मेरे घर में एक माँ, एक छोटी बहन थी
मैं नहीं जानता वे दोनों अब कहाँ हैं,
पिता और एक बड़ा भाई था
मेरे सामने उन्हें मार दिया गया

फिर एक छोटा-सा सच यह
कि वे सब मुझे बेहद प्यार करते थे
मैं अब भी उन्हें बेहद प्यार करता हूँ
उनका बदला लेने के नाम पर
मैं उकसाया गया

उससे भी छोटा एक सच
कि मेरा भी एक बचपन था
मैं भी पानी में तैरती गेंद को
पृथ्वी समझता था
बाप से अपने बेहद मैं डरता था
गोद में माँ की हर रोज़ सोता था
भाई से अपने, प्यार में
लड़ता झगड़ता था
बहन तो मेरी उस वक़्त दूध पीती थी
उस वक़्त मैं एक बच्चा था
जिसे सुरक्षा और भविष्य
के नाम पर बहकाया गया

तुम पूछोगे
क्या तुम्हारे पास इससे बचने का कोई रास्ता नहीं था?
वह बग़ैर एक क्षण सोचे कहेगा—
नहीं
यदि था भी तो मैं आज तक नहीं जानता
यदि है भी
तो शायद मैं उस तक कभी पहुँच न सकूँ!

Book by Anurag Tiwari:

अनुराग तिवारी
अनुराग तिवारी ने ऐग्रिकल्चरल एंजिनीरिंग की पढ़ाई की, लगभग 11 साल विभिन्न संस्थाओं में काम किया और उसके बाद ख़ुद का व्यवसाय भोपाल में रहकर करते हैं। बीते 10 सालों में नृत्य, नाट्य, संगीत और विभिन्न कलाओं से दर्शक के तौर पर इनका गहरा रिश्ता बना और लेखन में इन्होंने अपनी अभिव्यक्ति को पाया। अनुराग 'विहान' नाट्य समूह से जुड़े रहे हैं और उनके कई नाटकों के संगीत वृंद का हिस्सा रहे हैं। हाल ही में इनका पहला कविता संग्रह 'अभी जिया नहीं' बोधि प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।