दिल की बेचैनी बढ़ाकर दिल लगाना सीखिए,
ज़िन्दगी जीना है ग़र तो मुस्कुराना सीखिए,
इश्क़ के दरिया में कोई नाव है चलती नहीं
पार जाना है अगर तो डूब जाना सीखिए,
दाव चलते हैं नहीं कोई कज़ा के सामने,
ज़िन्दगी को छोड़िए उसको लुभाना सीखिए,
आप तो नेता हैं मालिक आपको क्या सीखना,
आप तो अपनी प्रजा के हक को खाना सीखिए,
आइना है ज़िन्दगी पत्थर है मजबूरी यहाँ,
जब कभी पत्थर बुलाए टूट जाना सीखिए,
सिर्फ इस दीवानगी से काम ना बन पाएगा,
जाइए चिंगारियों को लौ बनाना सीखिए,
हिज्र के किस्से सुनाते हैं बड़े जो चाव से,
उन से कहिए जा के पहले दिल लगाना सीखिए।