एक सांस्कृतिक चूहे की तरह
कुतरता रहा हूँ
कभी लोक-प्रथाएँ, कभी इतिहास के पन्ने
और कभी सड़क दुर्घटनाएँ

पहले मित्र बनाए
और फिर परिवार
बरसों एक राजनीतिक पार्टी के बनाने में मशगूल रहा
दफ़्तर में अफ़सर बनाता रहा
और शामों को एक साहित्यिक संस्था
पर अब सोचता हूँ यह सब बनाना छोड़कर
अगर मैं ख़ुद कुछ बन सकूँ..

भारतभूषण अग्रवाल
भारत भूषण अग्रवाल हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह 'उतना वह सूरज है' के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।