Tag: Bharat Bhushan Agrawal
आने वालों से एक सवाल
तुम, जो आज से पूरे सौ वर्ष बाद
मेरी कविताएँ पढ़ोगे
तुम, मेरी धरती की नयी पौध के फूल
तुम, जिनके लिए मेरा तन-मन खाद बनेगा
तुम, जब मेरी...
मुक्तिबोध की याद
हाँ, सितम्बर का महीना हर साल हमें मुक्तिबोध की याद दिलाएगा—क्योंकि गत वर्ष इसी महीने उनका देहांत हुआ। जून के महीने में जब वे...
ये मुलाक़ातें
बीच-बीच की
ये मुलाक़ातें
मेरी उम्र के पन्नों पर ऐसे ही सजी हैं—
जैसे बच्चे अपनी पोथी में
चमकीली पन्नी,
साँप की केंचुल
और फूल की पँखुरियाँ रखते हैं।
प्यार?
सच क्या...
निर्विकल्प
इसने नारे की हवाई छोड़ी
उसने भाषण की चर्खी
तीसरे ने योजना की महताब
चौथे ने सेमिनार का अनार
पाँचवें ने बहस के पटाखों की लड़ी
छठे ने प्रदर्शन की...
योजना का प्यार
मैंने प्यार की एक पंचवर्षीय योजना बनाई थी
जिसके अनुसार
पहले वर्ष- दर्शन
दूसरे वर्ष- संलाप
तीसरे वर्ष- मैत्री
चौथे वर्ष- प्रस्ताव
और पाँचवे वर्ष- मिलन का विचार था।
पर पहले...
एक सांस्कृतिक चूहे की कुतरन
एक सांस्कृतिक चूहे की तरह
कुतरता रहा हूँ
कभी लोक-प्रथाएँ, कभी इतिहास के पन्ने
और कभी सड़क दुर्घटनाएँ
पहले मित्र बनाए
और फिर परिवार
बरसों एक राजनीतिक पार्टी के बनाने...