Tag: Dagh Dehlvi
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था
वो क़त्ल करके मुझे हर किसी से पूछते हैं
ये...
भवें तनती हैं, ख़ंजर हाथ में है, तन के बैठे हैं
भवें तनती हैं, ख़ंजर हाथ में है, तन के बैठे हैं
किसी से आज बिगड़ी है कि वो यूँ बन के बैठे हैं
दिलों पर सैकड़ों...
रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी
रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी
आप से तुम, तुम से तू होने लगी
चाहिए पैग़ाम-बर दोनों तरफ़
लुत्फ़ क्या जब दू-ब-दू होने लगी
मेरी रुस्वाई की नौबत...
मोहब्बत का असर जाता कहाँ है
मोहब्बत का असर जाता कहाँ है
हमारा दर्द-ए-सर जाता कहाँ है
दिल-ए-बेताब सीने से निकल कर
चला है तू किधर, जाता कहाँ है
अदम कहते हैं उस कूचे...
ये बात बात में क्या नाज़ुकी निकलती है
ये बात-बात में क्या नाज़ुकी निकलती है
दबी-दबी तिरे लब से हँसी निकलती है
ठहर-ठहर के जला दिल को, एक बार न फूँक
कि इसमें बू-ए-मोहब्बत अभी...
कुछ लाग कुछ लगाव मोहब्बत में चाहिए
कुछ लाग कुछ लगाव मोहब्बत में चाहिए
दोनों तरह का रंग तबीअत में चाहिए
ये क्या कि बुत बने हुए बैठे हो बज़्म में
कुछ बे-तकल्लुफ़ी भी...
मज़े इश्क़ के कुछ वही जानते हैं
मज़े इश्क़ के कुछ वही जानते हैं
कि जो मौत को ज़िंदगी जानते हैं
शब-ए-वस्ल लीं उन की इतनी बलाएँ
कि हमदम मिरे हाथ ही जानते हैं
न...