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कविताएँ: दिसम्बर 2020
लड़कियों का मन कसैला हो गया है
इन दिनों
लड़कियों का मन कसैला हो गया है
अब वह हँसती नहीं
दुपट्टा भी लहराती नहीं
अब झूला झूलती नहीं
न ही...
कविताएँ: जुलाई 2020 (द्वितीय)
पिता
इस साल जनवरी में
नहीं रहे मेरे पिता के पिता
उनके जाने के बाद
इन दिनों
पिता के चेहरे को देखकर
समझ रहा हूँ पिता के जाने का दुःख
दुःख,...
बाढ़ की सम्भावनाएँ सामने हैं
बाढ़ की सम्भावनाएँ सामने हैं,
और नदियों के किनारे घर बने हैं।
चीड़-वन में आँधियों की बात मत कर,
इन दरख़्तों के बहुत नाज़ुक तने हैं।
इस तरह...
उपलब्धि
'Uplabdhi', a poem by Deepak Singh Chauhan
बाढ़ के पानी में
डूबकर मर रहे
मासूम, अपाहिज, वृद्ध,
जल समाधि ले रहे
निरीह जानवर, मवेशी,
रोका नहीं जाएगा
इस बाढ़ को
बाँध बनाकर,
कोई...