Tag: Ibbar Rabbi
आगे जीवन दौड़ रहा है
ज़रा ध्यान से
नीचे कोई सो रहा है
एक पूरा आदमी
हमारी ही तरह
चलता था
इसी धरती पर
पूरा का पूरा नीचे।
गीत गाता वह
इमारतें बनायीं
बस चलायी
दावतें दीं
दूल्हा बना
कुर्सी छीनी
नहीं...
‘वर्षा में भीगकर’ से कविताएँ
काव्य-संकलन: 'वर्षा में भीगकर'
प्रकाशन: किताबघर प्रकाशन
सुबह दे दो
मुझे मेरी सुबह दे दो
सुबह से कम कुछ भी नहीं
सूरज से अलग कुछ भी नहीं
लाल गर्म सूरज
जोंक...
दिल्ली की बसों में
सौर से निकलते ही
पायदान पर खड़ा हो गया,
दिल्ली की इन बसों में
मैं बूढ़ा हो गया।
जो मुल्क को खचड़े की तरह
दौड़ा रहे हैं,
उनके पाँव का...