Tag: Identity
उसके शब्दकोश से मैं ग़ायब हूँ
मेरी भाषा मेरी माँ की तरह ही
मुझसे अनजान है
वह मेरा नाम नहीं जानती
उसके शब्दकोश से मैं ग़ायब हूँ
मेरे नाम के अभाव से,
परेशान
वह बिलकुल माँ...
पहचान
या तो वह
बहुत पास था
या बहुत दूर
और
ये दोनों
वहाँ नहीं थे
जहाँ मैं थी।
मानो
मैं एक अन्तराय थी
एक 'बीच'—
एक परिचय
उसके निकटतम होने का
उसकी दूरस्थता का
मानो
मैं एक पहचान...
अभिलाषा, पहचान, युद्ध
Poems: Harshita Panchariya
अभिलाषा
माँगो तो मनोकामनाओं
के अंतिम अध्याय में
अपूर्ण रहने का वर माँग लेना
क्योंकि
अनेक सम्भावनाओं
का ठौर इतना सहज कहाँ?
पहचान
पहचानी जाऊँगी तो
संसार की उस मूर्ख स्त्री...
पहचान
हम अपने आप को
अपने चेहरे से नहीं पहचानते
नहीं बुलाते ख़ुद को हम
अपने नाम से
घर के बाहर लगी नेम प्लेट
दूसरों के लिए है
दूसरों के लिए...
अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ
'Apna Abhinay Itna Achchha Karta Hoon', a poem by Naveen Sagar
कविता संग्रह 'जब ख़ुद नहीं था' से
घर से बाहर निकला
फिर अपने बाहर निकल कर
अपने...