Tag: Kumar Ambuj
अमीरी रेखा
मनुष्य होने की परम्परा है कि वह किसी कंधे पर सिर रख देता है
और अपनी पीठ पर टिकने देता है कोई दूसरी पीठ
ऐसा होता...
कुछ समुच्चय
स्मृति की नदी
वह दूर से बहती आती है, गिरती है वेग से
उसी से चलती हैं जीवन की पनचक्कियाँ
वसंत-1
दिन और रात में नुकीलापन नहीं है
मगर...
एक कम है
अब एक कम है तो एक की आवाज़ कम है
एक का अस्तित्व, एक का प्रकाश
एक का विरोध
एक का उठा हुआ हाथ कम है
उसके मौसमों के...
एक स्त्री पर कीजिए विश्वास
जब ढह रही हों आस्थाएँ
जब भटक रहे हों रास्ता
तो इस संसार में एक स्त्री पर कीजिए विश्वास
वह बताएगी सबसे छिपाकर रखा गया अनुभव
अपने अँधेरों...
अकुशल
बटमारी, प्रेम और आजीविका के रास्तों से भी गुज़रना होता है
और जैसा कि कहा गया है इसमें कोई सावधानी काम नहीं आती
अकुशलता ही देती...
इस बार
एक किताब ख़रीदी जाएगी कविताओं की
और एक फ़्रॉक बिटिया के लिए
छेदों वाली साड़ी
माँ की दिनचर्या से अलग हो जाएगी
एक बिन्दी का पत्ता चुनकर ख़रीदने का...