Tag: Kumar Ambuj

Kumar Ambuj

अमीरी रेखा

मनुष्य होने की परम्परा है कि वह किसी कंधे पर सिर रख देता है और अपनी पीठ पर टिकने देता है कोई दूसरी पीठ ऐसा होता...
Kumar Ambuj

कुछ समुच्चय

स्मृति की नदी वह दूर से बहती आती है, गिरती है वेग से उसी से चलती हैं जीवन की पनचक्कियाँ वसंत-1 दिन और रात में नुकीलापन नहीं है मगर...
Kumar Ambuj

एक कम है

अब एक कम है तो एक की आवाज़ कम है एक का अस्तित्व, एक का प्रकाश एक का विरोध एक का उठा हुआ हाथ कम है उसके मौसमों के...
Kumar Ambuj

एक स्त्री पर कीजिए विश्वास

जब ढह रही हों आस्थाएँ जब भटक रहे हों रास्ता तो इस संसार में एक स्त्री पर कीजिए विश्वास वह बताएगी सबसे छिपाकर रखा गया अनुभव अपने अँधेरों...
Kumar Ambuj

अकुशल

बटमारी, प्रेम और आजीविका के रास्तों से भी गुज़रना होता है और जैसा कि कहा गया है इसमें कोई सावधानी काम नहीं आती अकुशलता ही देती...
Kumar Ambuj

इस बार

एक किताब ख़रीदी जाएगी कविताओं की और एक फ़्रॉक बिटिया के लिए छेदों वाली साड़ी माँ की दिनचर्या से अलग हो जाएगी एक बिन्दी का पत्ता चुनकर ख़रीदने का...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)