अब एक कम है तो एक की आवाज़ कम है
एक का अस्तित्व, एक का प्रकाश
एक का विरोध
एक का उठा हुआ हाथ कम है
उसके मौसमों के वसन्त कम हैं
एक रंग के कम होने से
अधूरी रह जाती है एक तस्वीर
एक तारा टूटने से भी वीरान होता है आकाश
एक फूल के कम होने से फैलता है उजाड़—सपनों के बाग़ीचे में
एक के कम होने से कई चीज़ों पर फ़र्क़ पड़ता है एक साथ
उसके होने से हो सकनेवाली हज़ार बातें
यकायक हो जाती हैं कम
और जो चीज़ें पहले से ही कम हों
हादसा है उनमें से एक का भी कम हो जाना
मैं इस एक के लिए
मैं इस एक के विश्वास से
लड़ता हूँ हज़ारों से
ख़ुश रह सकता हूँ कठिन दुःखों के बीच भी
मैं इस एक की परवाह करता हूँ…
कुमार अम्बुज की कविता 'एक स्त्री पर कीजिए विश्वास'