Tag: Prem Shankar Raghuvanshi

Woman Abstract

स्त्री

अपने ही मर्द द्वारा बनाया गया पत्थर उसे अपने ही मर्द ने छोड़ दिया जानवरों के बीच वन में किया गया उसे अपने ही मर्द के सम्मुख नग्न देखा गया अपने...
Premshankar Raghuvanshi

इन दिनों

कविता लिखना बहुत ही कठिन हो गया है इन दिनों इन दिनों कविता में जीना तो और भी कठिन है। जब छीने जा रहे हों शब्दों के अर्थ गिरफ़्तार...
Prem Shankar Raghuvanshi

हथेलियाँ

नहीं बनवाई कभी पेड़ों ने जन्मकुंडली अपनी ना पत्तों ने दिखलाईं भाग्य रेखाएँ किसी को धूल भरी स्याह आँधियाँ पोर-पोर उजाड़ जातीं उन्हें फिर भी धीरे-धीरे हरे हो उठते पेड़ फिर-फिर गूँज...
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