Tag: Prem Shankar Raghuvanshi
स्त्री
अपने ही मर्द द्वारा
बनाया गया पत्थर उसे
अपने ही मर्द ने
छोड़ दिया
जानवरों के बीच वन में
किया गया उसे
अपने ही मर्द के सम्मुख नग्न
देखा गया अपने...
इन दिनों
कविता लिखना
बहुत ही कठिन हो गया है इन दिनों
इन दिनों कविता में जीना तो
और भी कठिन है।
जब छीने जा रहे हों शब्दों के अर्थ
गिरफ़्तार...
हथेलियाँ
नहीं बनवाई कभी
पेड़ों ने जन्मकुंडली अपनी
ना पत्तों ने दिखलाईं
भाग्य रेखाएँ किसी को
धूल भरी स्याह आँधियाँ
पोर-पोर उजाड़ जातीं उन्हें
फिर भी धीरे-धीरे
हरे हो उठते पेड़
फिर-फिर गूँज...